Manoj Pandey's collection of poems is unique in many respects. A small book of just 51 poems, it is divided into three segments:
-Aahat-naad- poems based on observations of the physical world;
-Anhad-naad- poems exploring the reality; and
-Anu-naad- poems expressing pure love and bliss.
This is what the author says about his poems:
कल्प-नाद: क्या कहता है यह शब्द?
इसका इशारा है उन स्वरों-शब्दों की ओर जो उत्पन्न होते हैं समयातीत कंपन से.
यह मेरी विशेष प्रतिभा या उपलब्धि नहीं, हर इंसान – क्या पता, सृष्टि के हर कण – की चेतना का बिम्ब है.
उस कल्प-नाद का एक क्षुद्र अंश है यह संकलन. कोशिश है प्रस्तुत करने की कुछ ऐसे कंपन, ऐसे स्वर, जो सांसारिक टकरावों – अनुभवों और भावों – से उपजे हैं, कुछ ऐसे जो तनी हुई डोरियों – मान्यताओं – को कंपाने से उपजे हैं, और कुछ ऐसे जो अन्त: से पैदा हुए हैं – जो बस कंपन हैं, ध्वनि नहीं.
जब लगा कि दूसरों के दिल-दिमाग में उपज रहे नाद इन नादों से मेल खा सकते हैं तो इन्हें साझा करने का मन बना लिया. भावों को कविता की आकृति में ढालने की कोशिश में कला, शब्दों को सँजोने व कला का आडंबर अंतर्निहित है चाहे इनका स्तर निम्नतम ही क्यों न हो. इसकी वजह से जो दंभ पैदा हुआ है, उसका मैं दोषी हूँ.
The book is available as an ebook on Amazon, at this web address: kalp-naad: poems by Manoj Pandey.
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